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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .

उत्तर -

अधिकांश विकासशील देशों की भांति भारत में भी क्षेत्रीय विषमताओं का प्रारंभ उपनिवेशी शासन काल में ही हुआ था। उस युग में समुद्र तट के दूर के क्षेत्र तटवर्ती प्रांतों से पिछड़ने लगे थे। वैसे अन्य कई कारक भी किसी क्षेत्र के विकास के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं और उन सभी को उपनिवेशी 'धरोहर' भी नहीं माना जा सकता। उन महत्वपूर्ण कारकों को हम संक्षेप में, इस प्रकार रख सकते हैं-

(1) प्रति व्यक्ति आय की विषमताओं की एक व्याख्या कोलिन क्लार्क की आर्थिक क्षेत्रक संकल्पना द्वारा संभव है। क्लार्क का मत था कि उन क्षेत्रों में, जहां कार्यशील जनसंख्या का अधिक बड़ा विनिर्माण और तृतीयक क्षेत्रकों में काम करता हो, प्रति व्यक्ति आय का स्तर भी उच्च होता है। उन राज्यों में प्रति व्यक्ति आय अधिक पायी गई है। जहाँ जनसंख्या का बड़ा अंश तृतीयक कार्यों में संलग्न है।

(2) औद्योगिक इकाइयों की स्थानीयता पर प्रारंभिक रेलमार्गों के विकास का गहरा प्रभाव रहा है। इन स्थानों ने गुन्नार मिर्डल के मत के अनुरूप संगुटिकरण (Conglomeration) की मितव्ययिताओं के आधार पर बड़े स्तर पर औद्योगिकीकरण को अपनी ओर आकृष्ट किया है।

(3) ऐतिहासिक दृष्टि से विकसित राज्यों में कौशल, संवेदनशीलता और निष्पादन प्रणालियों के आधार पर प्रशासनिक व्यवस्था अधिक रही है। पूँजी तो बहुत अधिक गतिशील होती है। एक स्थान से दूसरे स्थान जा सकती है। किन्तु सुशासन का इस प्रकार स्थान परिवर्तन नहीं हो पाता। यह तो किसी स्थान /प्रदेश के अपने सामाजिक/राजनीतिक परिवेश में, दीर्घकाल में विकसित होता है। एक पुरानी पड़ गई सामाजिक रचना आधुनिक दृष्टि से सुशासन को धारण नहीं कर पाती। यह तो अपने दुर्बलताकारी एवं भ्रष्टाचारी प्रभावों के माध्यम से बाध्य रूप से सुशासन की स्थापना के प्रयासों को भी निराश और निष्फल बना देती है।

(4) अन्य सम्बन्धित ऐतिहासिक कारक संरचनात्मक सुविधाओं का विकास है। आज के अधिक विकसित क्षेत्र वही हैं जहां रजवाड़े शाही में ही संरचनात्मक विकास का सूत्रपात हो गया था। कितने ही अन्य राज्यों के राज परिवार अपने आप को ईश्वर का प्रतिनिधि और शासन के नैसर्गिक अधिकार से संपन्न मानते रहे। उन्होंने संरचनात्मक विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया।

(5) अभी हाल ही के वर्षों में भी (उन्हीं 'देवदूतों' के युग की भांति) सरकारी बजट से संरचना के वित्तीयन में काफी गिरावट आ रही है। विकसित प्रांतों और बड़े नगरों की ओर ही आंतरिक संस्थागत वित्त और बाध्य सहायता का प्रवाह हो रहा है।

(6) सावधिक ऋण संस्थान और व्यावसायिक बैंक भी अपेक्षाकृत अधिक विकसित राज्यों में निवेश करने को अधिक उत्सुक दिखाई देते हैं।

बैंकों द्वारा रियायती वरीयता साख और वित्तीय संस्थानों की पुनः वित्तीयन सुविधाओं से अमीर प्रांतों को कम ब्याज दर पर निवेश योग्य कोष आसानी से पाने में मदद मिली है।

इसी प्रकार शहरी आधारभूत सुविधाओं के प्रयोक्ताओं से उनकी पूरी लागत वसूलने और राज्य सरकारों पर वित्तीय अनुशासन लागू करने के रिजर्व बैंक के प्रयासों ने भी विकसित राज्यों और बड़े नगरों में ही निवेश के संकुलन को बढ़ावा दिया है।

(7) देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधाओं के लिए प्रावधानों में बहुत ही विशाल क्षेत्रीय असंतुलन और विषमता स्पष्ट दिखाई पड़ रही है।

(8) देश की लोकवित्त व्यवस्था की संचालन विधि का भी अंतर्राज्यीय विषमताओं के सृजन और उन्हें बनाए रखने में बड़ा योगदान रहा है।

निम्न आय राज्यों में सार्वजनिक निवेश, संरचनात्मक संवृद्धि और प्रशासनिक सेवाओं का स्तर उच्च आय राज्यों से बहुत पिछड़ा हुआ है। अतः विषमताएँ और घनीभूत एवं स्थायी हो जाती हैं।

बिक्रीकर व्यवस्था से अमीर राज्य अपने करों के भार का गरीब राज्यों के निवासियों को निर्यात कर देते हैं।

केन्द्र द्वारा राज्यों को रियायती ऋणों ने प्रतिगामी अंतर्प्रशासनिक अंतरणों को बढ़ावा दिया है।

(9) भारत ने बढ़ते हुए वैश्वीकरण के परिवेश में संवृद्धि का कौशल गहन पथ चुना है और कुशल श्रम की मजदूरी दरें अभी से नियोक्ता स्पर्धा के कारण उछाल पर है। इस दशा में आवश्यक है कि दुर्लभ कौशल की नियोक्ता फर्मों के उत्पादन का स्तर उस कौशल का भरपूर प्रयोग करने योग्य हो। किन्तु उसके लिए तो तीव्र संवृद्धि और पर्याप्त संरचनात्मक सुविधाओं से परिपूर्ण औद्योगिक वातावरण की आवश्यकता होगी। इसके कारण भी विषमताएँ अधिक हो जाती हैं।

(10) सुधारपूर्वक सार्वजनिक क्षेत्र तो पिछड़े क्षेत्रों में निवेश प्रवाहित कर क्षेत्रीय समता बनाए रखने में निर्णायक योगदान कर रहा था। किन्तु सुधार कार्यक्रम ने तो सार्वजनिक क्षेत्र का ध्यान केन्द्र ही बदल डाला है। यह क्षेत्र अब विषमता निवारण के रूप में उतना सबल नहीं रहा है।

आर्थिक सुधारों ने निजी क्षेत्र और निर्यातोन्मुख उत्पादन को बढ़ावा दिया है। लागत कटौती द्वारा स्पर्धाशील बनने के उत्सुक ये उद्यम भी अपेक्षाकृत अधिक विकसित क्षेत्रों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अतः निवेश कार्य इन्हीं क्षेत्रों में और संकेन्द्रित हो रहे हैं। परिणामतः विषमता और गहरी हो रही है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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